आइये करते है राजमा की खेती  


नमस्कार मित्रों आज आप सभी को एक नयी खेती के विषय में जानकारी प्रदान की जाएगी जिसे हम लोग बड़े चाव से अपने घरों में बनाते है, इसकी मांग होटल रेस्टॉरेंट और ढाबों पर सदा बनी रहती है, साथ ही साथ भारत के हर एक घर में इसे बेहद पसंद किया जाता है।  समय की मांग को देखते हुए नए - नए शोधो से अब राजमा की खेती हर प्रकार की जलवायु में करना संभव हो गया है।  




  राजमा की खेती के विषय  सम्पूर्ण जानकारी 


बीज 
एच यू आर -15
बीएल -63 अम्बर 
पीडीआर -14



जलवायु :- 

कुछ समय पहले राजमा की खेती सिर्फ  और सिर्फ पहाड़ों तक ही सीमित थी परन्तु आज वैज्ञानिको के शोधों और किसानो के दृढ निश्चय से लगभग यह हर जलवायु में किये जाने के लिए सक्षम हो गयी है, इसकी खेती हेतु 15 से 25  डिग्री सेल्सियस तापमान  आवश्यकता होती है। 


खेती हेतु भूमि एवं सही समय :- 

प्रायः राजमा के खेती हेतु सही भूमि का चुनाव अत्यावश्यक है, यदि हम सही  भूमि का चुनाव करेंगे तो सही पैदावार भी ले सकेंगे, इसके लिए कार्बन युक्त चिकनी लवणीय मिटटी की आवस्यकता होती है, जिसका PH मान 5. 5 से 6. 0  होना चाहिए। 

राजमा की बुआई कब और किस समय करे :-

मुख्यतः राजमा की फसल की बुआई अलग - अलग राज्यों में अलग अलग समय पर की जाती है।  यदि बात करे महाराष्ट्र क्षेत्र  के बारे में तो वहां पर बुआई अक्टूबर के मध्य में शुरू हो जाती है।  यदि उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ बुआई के बात करें तो बुआई नवेम्बर के पहले दुसरे सप्ताह से प्रारम्भ हो जाती है।

सिचाई :-

राजमा की फसल में लगभग २ से तीन सिचाई की  आवश्यकता होती है , मौसम की मांग को देखते हुए सिचाई घटाई  या बढ़ाई जा सकती है।

रोग एवं उपचार :- 

राजमा की  फसल में कई तरीके के रोगों और कीटों का आक्रमण होता है, यदि सही समय सही दवाओं का इस्तेमाल किया जाय तो फसल को रोगमुक्त करके अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है ।
सर्वप्रथम तो बीजोपचार के लिए कार्बेन्डाजिम का 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें ।
हर 20 से 25 दिन के अंतराल पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से 35से 40 दिन 60से 65 दिन 70 से 75 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए ।


कृपया अन्य जानकारी हेतु संलग्न वीडियो अवश्य देखें, यदि लेख पसंद आया हो तो अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करे।