क्या है नीम लेपित यूरिया ( What is Neem Coated Urea ? )
सामान्य यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है जिससे ये लेप यूरिया के नाइट्रिफिकेशन अवरोधी के रूप में काम करता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है जिसके कारण फसलों को उनकी आवस्यकता के अनुरूप नत्रजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है एवं फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। नीम लेपित यूरिया सामान्य यूरिया की तुलना में 5 से 10 प्रतिशत तक कम लगता है, जिससे 5 से 10 प्रतिशत तक यूरिया बचाई जा सकती है।
यूरिया को नीम लेपित क्यों किया गया ?
फसलों द्वारा भूमि से लिए जाने वाले प्राथमिक मुख्य पोषक तत्वों जैसे की नइट्रोजन फास्फोरस पोटाश में से नत्रजन का सर्वाधिक अवशोषण होता है, क्योकि पौधों को इस तत्व की सबसे अधिक आवश्यकता होती है नत्रजन का मुख्य श्रोत यूरिया ही है। सामान्य यूरिया की नत्रजन क्षमता ३० से ३५ प्रतिशत है तथा अवशेष नत्रजन ६५ से ७० प्रतिशत की वाष्पीकरण, लीचिंग या डीनीट्रिफिकेशन के कारण क्षति हो जाती है, युक्ति सांगत तकनीकी विधि एवं नीम लेपित यूरिया का प्रयोग करके इस क्षति को कम किया जा सकता है।
यूरिया की प्रयोग विधि
मृदा परिक्षण के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना सबसे बेहतर होता है नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई या रोपाई के समय तथा नत्रजन की शेष मात्रा को दो से तीन बार में प्रयोग करना चाहिए। इसका प्रयोग हलकी भूमि में तीन बार तथा भारी भूमि में २ बार करना चाहिए कल्ले फूटते समय एवं बाली बनने की प्रारंभिक अवस्था पर अवश्य प्रयोग करना चाहिए। नीम लेपित यूरिया का सामान्य यूरिया की तुलना में ५ से १० प्रतिशत तक प्रयोग कम करेंगे तो भी लाभ होगा।
नीम लेपित यूरिया के लाभ
नीम लेपित यूरिया के कई सारे लाभ है जो की निम्नवत है।
१:- इससे कृषि लागत मे कमी आती है
२:- कृषको की आय में वृद्धि होती है
३:- 5 से 10 प्रतिशत यूरिया की बचत होती है
४:- 10 से 15 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है
5 :- नइट्रोजन के धीरे धीरे क्षरण होने से मृदा उर्वरा को मदद मिलती है
६:- देश को यूरिया का आयात काम करना पड़ता है
७:- यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी की बचत होगी
८:- नीम लेपित यूरिया का संतुलित इस्तेमाल संभव होगा
९ :- यूरिया के औद्योगिक इस्तेमाल पर अंकुश लग जाता है
१०:- नीम लेपित यूरिया पर्यावरण के अनुकूल है
यूरिया के असंतुलित एवं अत्यधिक मात्रा में प्रयोग से हानियां
जहाँ यूरिया कई सारे लाभ देती है वही यूरिया के कई सारे दुष्परिणाम भी है। यूरिया पर मिलने वाली सब्सिडी की वजह से किसान इस खाद का इस्तेमाल ज्यादा एवं असंतुलित मात्रा मे करते है। इसके बहुतायत प्रयोग की कुछ हानियां निम्नलिखित है।
1 :- कृषि लागत में वृद्धि
२:- भूमिगत जल, मृदा एवं वायु प्रदुषण में वृद्धि
३:- नत्रजन की अधिक क्षति
४:- नत्रजन की अधिक क्षति
५:- यूरिया के अधिक प्रयोग से फसलों की अधिक बढ़वार हो जाती है जिसके कारण फसल जल्दी गिरकर नष्ट हो जाती है तथा दलहनी फसलों में फलियां कम लगती है।
६ कीटों एवं रोगों के संक्रमण में बहुत तीव्र वृद्धि होती है
६ कीटों एवं रोगों के संक्रमण में बहुत तीव्र वृद्धि होती है
७ नत्रजन कुशलता में कमी आ जाती है '
८:- शुद्ध लाभ में कमी आ जाती है


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