किसानो की आमदनी दोगुना कैसे बढ़ाई जा सकती है
हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है, भारत की एक बहुत बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, आज समाज के हर तबके को अच्छी आय के साथ-साथ अच्छे संसाधन प्राप्त हो चुके है, परन्तु किसानों की बदहाली आये दिन बढ़ती जा रही है। सरकार वादा करती है और फिर भूल जाती है। किसान इस समय सबसे बदहाल जीवन जी रहे है।
आखिर इस बदहाली का जिम्मेदार कौन है ?
सत्य तो ये है की किसान भी कही न कही इस बदहाली के लिए स्वयं जिम्मेदार है, हर जगह समझौते से काम नहीं चलता कही न कही अपने हक़ के लिए लड़ना भी पड़ता है और अपनी बात को सबके सामने रखना भी पड़ता है ।
आखिर नेता सत्ता में आने से पहले क्यों किसान के हिमायती रहते है और सत्ता आने के बाद सबकुछ भूल जाते है ।
जब तक पार्टी सत्ता में नहीं आती तब तक गरीबों और किसानों के हिमायती सब होते है, परन्तु जैसे ही पार्टी सत्ता में आती है सब अपना अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते है । आज भारत में ऐसी अनगिनत पार्टियां है जो सीधे सीधे किसानों के सर पर पैर रखकर आगे बढ़ गई है परन्तु किसानों के लिए काम करने ने उनकी नानी मर जाती है ।
क्या किया जाय और कैसे किया जाए ?
प्रायः देखा गया है की छोटे-छोटे व्यापारी किसानो द्वारा तैयार कच्चे माल को औने पौने दामों में खरीद कर बड़े व्यापारी को कुछ मुनाफा लेकर बेच देते है, फिर वही बड़े व्यापरी इस कच्चे माल से नया प्रोडक्ट बनाकर 100 गुना ज्यादा कीमत पर वापस सभी को बेचते है।
किसानो के क्षेत्र में ही फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर काम कराया जाय
हर 10 ग्राम सभा के बीच में एक कृषि विज्ञानं केंद्र की स्थापना हो।
यदि ऐसे ही छोटे छोटे स्तर पर कृषि विज्ञानं संस्थान खुलना शुरू हो जाय तो बहुत से किसान इससे लाभान्वित होना शुरू हो जायेंगे। अभी बहुत से कृषक भाई उसी पारम्पारिक खेती में ही लगे हुए है,उनको न तो कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है और न ही कुछ नया शुरू करने की कोई इच्छा ही होती है।
यदि ऐसे कृषि विज्ञानं केंद्र की छोटी छोटी इकाई हर 10 ग्राम सभा के बीच में स्थापित की जाय तो विकास को नया पंख मिल जायेगा।
ग्राम प्रधान पद के लिए लड़ने वाला प्रत्याशी एडुकेटेड होना चाहिए
गाँव के विकास में मुखिया का बहुत बड़ा रोल होता है और यदि गाँव का मुखिया अशिक्षित हो तो पूरा का पूरा गाँव अंधकार में डूब जाता है, क्योकि गाँव की विकास की कड़ी टूट जाती है, वैसे ग्राम प्रधान का इलेक्शन न होकर हर पांच वर्ष में इंटरव्यू द्वारा नियुक्त करवाया जाना चाहिए, हर ग्राम प्रधान का इंटरव्यू एक आईएएस अफसर द्वारा करवाया जाना चाहिए ताकि प्रधान की असली समीक्षा की जा सके।
आखिर नेता सत्ता में आने से पहले क्यों किसान के हिमायती रहते है और सत्ता आने के बाद सबकुछ भूल जाते है ।
जब तक पार्टी सत्ता में नहीं आती तब तक गरीबों और किसानों के हिमायती सब होते है, परन्तु जैसे ही पार्टी सत्ता में आती है सब अपना अपना उल्लू सीधा करने में लग जाते है । आज भारत में ऐसी अनगिनत पार्टियां है जो सीधे सीधे किसानों के सर पर पैर रखकर आगे बढ़ गई है परन्तु किसानों के लिए काम करने ने उनकी नानी मर जाती है ।
क्या किया जाय और कैसे किया जाए ?
प्रायः देखा गया है की छोटे-छोटे व्यापारी किसानो द्वारा तैयार कच्चे माल को औने पौने दामों में खरीद कर बड़े व्यापारी को कुछ मुनाफा लेकर बेच देते है, फिर वही बड़े व्यापरी इस कच्चे माल से नया प्रोडक्ट बनाकर 100 गुना ज्यादा कीमत पर वापस सभी को बेचते है।
किसानो के क्षेत्र में ही फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर काम कराया जाय
हर 10 ग्राम सभा के बीच में एक कृषि विज्ञानं केंद्र की स्थापना हो।
यदि ऐसे ही छोटे छोटे स्तर पर कृषि विज्ञानं संस्थान खुलना शुरू हो जाय तो बहुत से किसान इससे लाभान्वित होना शुरू हो जायेंगे। अभी बहुत से कृषक भाई उसी पारम्पारिक खेती में ही लगे हुए है,उनको न तो कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है और न ही कुछ नया शुरू करने की कोई इच्छा ही होती है।
यदि ऐसे कृषि विज्ञानं केंद्र की छोटी छोटी इकाई हर 10 ग्राम सभा के बीच में स्थापित की जाय तो विकास को नया पंख मिल जायेगा।
ग्राम प्रधान पद के लिए लड़ने वाला प्रत्याशी एडुकेटेड होना चाहिए
गाँव के विकास में मुखिया का बहुत बड़ा रोल होता है और यदि गाँव का मुखिया अशिक्षित हो तो पूरा का पूरा गाँव अंधकार में डूब जाता है, क्योकि गाँव की विकास की कड़ी टूट जाती है, वैसे ग्राम प्रधान का इलेक्शन न होकर हर पांच वर्ष में इंटरव्यू द्वारा नियुक्त करवाया जाना चाहिए, हर ग्राम प्रधान का इंटरव्यू एक आईएएस अफसर द्वारा करवाया जाना चाहिए ताकि प्रधान की असली समीक्षा की जा सके।

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